अनुभूति में
संजू शब्दिता की रचनाएँ-
नई रचनाओं
में-
कैसी ये मुलाकात
जरा सी बात पर
हमारी बात
हम भी अखबारों में
हमें आदत है
अंजुमन में—
ये इश्क
सिर्फ कानों सुना नहीं जाता
वो मेरी रूह
हँसते मौसम
हुए रुखसत दिले-नादा
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ज़रा सी बात पर
ज़रा सी बात पर अनबन, भरोसे टूट जाते हैं
कि साथी सात जन्मों के पलों में छूट जाते हैं
ये दिल का मामला प्यारे नहीं दरकार पत्थर की
ज़रा सी बेरुखी से ही ये शीशे फूट जाते हैं
ये ऐसा दौर है साहिब कि आँखें खोल हम सोये
मगर हद है लुटेरे सामने ही लूट जाते हैं
ये माना बेखुदी में हो मगर कुछ होश भी रखना
बहुत जल्दी ही ख्वाबों के घरौंदे टूट जाते हैं
खुदी में दम नहीं है गर तो हासिल कुछ नहीं होता
कि दरिया पार होकर भी किनारे छूट जाते हैं
१ दिसंबर २०१४
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