अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में ब्रज श्रीवास्तव की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
आज की सुबह
क्रूरता
खबर के बगैर
तब्दीली
तुम्हारी याद का आना
न जाने कौन सी भाषा से
भव्य दृश्य

 

क्रूरता

भावना की सहजता पर
मारती है ठहाका

अपना शिकार मानती है मन ही मन

खिलने देती है उसे भरपूर
और जब वह करती है
कुछ मासूम-सी अपेक्षाएँ
गला मसक देती है धोखे से
गहरा सन्तोष महसूस करती है
मनाती है एक और जश्न

जाँच करती है लाश की भी
मारकर धीरे-धीरे लाठी
मुत्तमईन होती है कि हाँ
अब पूरी तरह मर चुकी है भावना

सो जाती है तब क्रूरता
चैन की नीद से। 

२३ जनवरी २०१२

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter