अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में जयप्रकाश मानस की रचनाएँ

नयी रचनाओं में-
आम आदमी का सामान्य ज्ञान
गिरूँगा तो उठूँगा
जब कभी होगा जिक्र मेरा
तब तक
निहायत छोटा आदमी

छंदमुक्त में
अंधा कुआँ
अभिसार
आकाश की आत्मकथा
चौपाल
नदी
पाँच छोटी कविताएँ
पुरखे
प्रायश्चित
बचे रहेंगे सबसे अच्छे
वज़न

क्षणिकाओं में
छाँव निवासी
बाज़ार

पहाड़

पाठ

 

पुरखे

हम बहुत पहले से हैं
बहुत बाद तक हमीं झिलमिलाते रहेंगे
पहली बारिश से उमगती गंध की तरह
हमारी उपस्थिति है

भली-भाँति याद है हमें
चंदा को खिलौना बनाकर खेलने की ज़िद
तमतमाते सूरज को लील जाने की कोशिश

कुछ घर, कुछ गहने, कुछ रास्ते
जो भी बचा है दृश्य-अदृश्य
जो नहीं बचाया जा सका चाहा-अनचाहा
सारा का सारा किया-धऱा हमारा है

बहुत सारी नाकामयाबियों के बावजूद
किसी छोटी-सी नाकामयाबी पर
वर्षों मथते रहे हैं भीतर-बाहर

जब-तब उजड़ते रहे
बच ही जाते रहे हर बार हम

कभी पक्षी, कभी घास, कभी ओस बनकर
आ जाते हैं बिलकुल करीब
रात की, नींद की, सपनों की
रखवाली होती रहे इसी तरह

संसार के लिए सिर्फ़ शुभ­कामनाएँ
बुदबुदाते रहते हैं हमारे होंठ
हर घड़ी बाट जोहते हैं अपनों की हमीं

१ जुलाई २००७

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter