| अनुभूति में
                      राज जैन की रचनाएँ - अंजुमन में-आदमी
 आ के मिलिये
 एक लम्हा ज़िन्दगी़
 कल शहर था
 तुमसे मिल कर
 पहली बार
 मुस्कुराने की चाहत
 यह ख़लिश
 संकलन में-वर्षा मंगल - 
                      बिरहा
 ज्योति पर्व - 
                      दिये जला देना
 गांव में अलाव-ठिठुर 
                      ठिठुर कर
 शुभकामनाएँ -आज 
                      झिझको
 प्रेमगीत-
                      मीठी उलझन
 हाइकू में नयी कामना
 काव्यचर्चा में
                    सच 
                    सादगी और सरलता
 |  | यह ख़लिश 
 यह ख़लिश कर देगी दीवाना मुझे
 जानकर भी क्यों न पहचाना मुझे
 
                      अश्क का दरिया बहाते देख करदे गया वह ख़ाली पैमाना मुझे
 आसमाँ इतने दिखाए किस लियेख़ाक जैसे था जो ठुकराना मुझे
 आशिकी के ज़िक्र में एक 
                      अजनबीकह गया मेरा ही अफ़साना मुझे
 वो न आए हैं कभी ना आएँगेबंद कर दो और बहलाना मुझे।
   |