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अनुभूति में राजेश्वरी पांढरीपांडे की
रचनाएँ -

:छंदमुक्त में-
अपनापन
अभिमानी
उतना ही
खो दिये
चम्मचभर मैं
नासमझ
ये रिश्ते

 

उतना ही

दो फीट की
खिड़की से
जितना पा सको
पा लो आकाश
स्नेह।
मत करो कोशिश
सारे आकाश को
खींचने का
दो फ़ीट की
खिड़की में से
टूट जायेगी
खिड़की
बिखर जायेगा
आकाश का टुकड़ा
एक
एक

जिओ हर कोने में
थोड़ा थोड़ा सा
आखिर जीने के लिये
ऐसे तो
घर भी पूरा नहीं पड़ता
और जीने वाले
एक कोने में भी
जी लेते हैं
जी भर के
आकाश के

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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