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अनुभूति में डा. सरस्वती माथुर की रचनाएँ -

माहिया में-
धूप छाँह सा मन

छंदमुक्त में-
खेलत गावत फाग
गुलाबी अल्हड़ बचपन
मन के पलाश
महक फूलों की
माँ तुझे प्रणाम

क्षणिकाओं में-
आगाही
एक चट्टान

संकलन में-
वसंती हवा-फागुनी आँगन
घरौंदा
धूप के पाँव-अमलतासी धूप

नववर्ष अभिनंदन-नव स्वर देने को

 

 

मन के पलाश

झर गए सपने आँगन के नीम से
जाग उठे मौसम सपेरों की बीन से

ओढ़ मधुर सुधियों को
अनुरागी छवियों को
खिल उठे जमुहाते
मन के पलाश
मौसमी ज़मीन से
झर गए सपने आँगन के नीम से
जाग उठे मौसम सपेरों की बीन से

उड़ाते हवाओं में एक भीगी शाम
ओढ़ कर चूनरी चाँदनी के नाम
आ गए गुलमोहरी मधुमास
खोलते अनुरक्त पाँखें
गुलमोहरी नीड़ से
झर गए सपने आँगन के नीम से
जाग उठे मौसम सपेरों की बीन से

09 अक्तूबर 2005

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