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अनुभूति में संगीता गोयल की रचनाएँ-

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तीन छोटी कविताएँ

संकलन में
हाथ में प्याला - 'गाँव' में अलाव में

 

तीन छोटी कविताएँ


(१)
सब कुछ खोया मिल जाता है
उस दिन चाबियाँ गुम गईं
चार दिन ढूँढा फिर मिलीं
किताबों के नीचे दबी।
कल एक छोटे बच्चे ने हाथ पकड़
बचपन लौटा दिया
जो एक अरसे पहले खो गया था।
वो रौशनी जिसमें मैं नज़र आऊँ
किसी मोड़ पर रूठ ओझल हो गई
आईने ने आज चौंका दिया
मेरा चेहरा दिखा कर।
अब मैंने खोई चीज़ों की सूची बना ली है
जैसे
एक दिल, दो धड़कनें तीन रात वाले सपने
आधा दिवास्वप्न
क्योंकि सब कुछ खोया मिल जाता है
बस वहाँ नहीं जहाँ ढूँढते हैं।


(२)
किसी तमन्ना के हक को अदा करो
दिल से जुदाई का ख्याल जुदा करो।
आधा पन्ना सही पूरी कहानी लिखने के लिये काफी है
छोटे कमरे को ही घर बड़ा करो।
कोई थपथपाये सपनों को ऐसी नींद का क्या भरोसा
तारे जब आवाज़ दें उस रात जगा करो।
हौसला हो होश का तो दर्द से क्या घबराना
दर पर उसे आने की मनाही कम किया करो।


(३)
हर उम्मीद को अपनाना अच्छी बात नहीं
पहले उसे छान कर देख तो लो।
दोस्ती हर किसी से नहीं की जाती
सूरत की पहचान कर देख तो लो।
आसमान पर जीवन रेखाएँ नहीं लिखी जाती
नींव का अनुमान कर देख तो लो।
चेहरे पर इतनी परेशानी देखी नहीं जाती
हँसने का गुमान कर देख तो लो।

 

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