अनुभूति में
सत्य
प्रकाश बाजपेयी की
रचनाएँ -
छंदमुक्त
में-
अंतर्मन
अनंत चतुर्दशी
आज माँ आई थी
घर
देखा देखी
प्रतीक्षा
भूख
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अनंत चतुर्दशी
पूर्णिमा कदम भर
पर पिछले बीस बरस भी
कम निकले
उफ़ …! ये अनंत चतुर्दशी सी ज़िन्दगी
जानता हूँ
जानता हूँ कि
मिलो तुम मंजिलो पर
ये जरूरी तो नहीं
इसीलिए
सिर्फ इसीलिए
मै पड़ावों पर नहीं
राह में गुजारता हूँ
मस्ती के लम्हे
मौज के पल
और जीता हूँ जी भर जीता हूँ
बिना चीखे
बिना चिल्लाये
ख़ामोशी से
हर पल
हर छिन
द्वार पे टकटकी लगा कर नहीं
आंगन में उत्सव के साथ
बाँहे पसारे तुम्हारी
प्रतीक्षा में ।
१४ मई २०१२
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