| होली का वह दिन होली का दिन थाभंग पी ली थी हम ने उस शाम
 घूम रहे थे, झूम रहे थे
 माल रोड पर बीच-सड़क हम सरेआम
 नशे में थी तू परेशान कुछगुस्से में मुझ पर दहाड़ रही थी
 बरबाद किया है जीवन तेरा मैं ने
 कहकर मुझे लताड़ रही थी
 मैं सकते में थाकिसी चूहे-सा डरा हुआ था
 ऊपर से सहज लगता था पर
 भीतर गले-गले तक भरा हुआ था
 तू पास थी मेरे उस पल-छिनबहुत साथ तेरा मुझे भाता था
 औ' उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे
 यह विचार भी मन में आता था
 24 जनवरी 2007 |