| अनुभूति में 
                    
                    अनिल जनविजय
                    
                  
                  की कविताएँ- 
                    अनमने दिनअभ्रकी धूप
 पहले की तरह
 प्रतीक्षा
 बदलाव
 वह दिन
 वह लड़की
 विरह-गान
 संदेसा
 होली का 
                    वह दिन
   |  | वह लड़की दिन था गर्मी का, बदली छाई थीथी उमस फ़ज़ा में भरी हुई
 लड़की वह छोटी मुझे बेहद भाई थी
 थी बस-स्टॉप पर खड़ी हुई
 मैं नहीं जानता क्या नाम है 
                    उसकाकरती है वह क्या काम
 याद मुझे बस, संदल का भभका
 और उस के चेहरे की मुस्कान
 24 जनवरी 2007 |