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शरद आलोक

गत २१ वर्षों से नॉर्वे में हिन्दी की पत्रिकाओं 'परिचय' और 'स्पाइल' (दर्पण) का संपादन कर रहे शरद आलोक का वास्तविक नाम डा सुरेशचन्द्र शुक्ल है। वे हिन्दी के सुपरिचित कवि, लेखक और पत्रकार हैं।
डा शुक्ल अनेक भाषाओं में लिखते रहे हैं। हिन्दी में आपके सात कविता संग्रह तथा एक कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। उर्दू में एक कहानी संग्रह तथा नार्वेज़ियन भाषा में एक काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुका है।
आपको चौथे और छठे विश्व हिन्दी सम्मेलन, हिन्दी अकादमी नई दिल्ली, उ प्र हिन्दी संस्थान, प्रथम ओसलो इन्टरनेशनल पोएट्री फेस्टिवल और देश-विदेश में अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।
'सोनांचल साहित्यकार संस्थान, सोनभद्र आपके नाम पर देश विदेश के चुने हुए साहित्यकारों को 'सुरेशचंद्र शुक्ल नामित राष्ट्र भाषा प्रचार पुरस्कार' प्रदान करता है। शरद आलोक गत 21 वर्षों से नॉर्वे में हिन्दी की पत्रिकाओं 'परिचय' और 'स्पाइल' (दर्पण) का संपादन कर रहे शरद आलोक का वास्तविक नाम डा सुरेशचन्द्र शुक्ल है। वे हिन्दी के सुपरिचित कवि, लेखक और पत्रकार हैं। डा शुक्ल अनेक भाषाओं में लिखते रहे हैं। हिन्दी में आपके सात कविता संग्रह तथा एक कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। उर्दू में एक कहानी संग्रह तथा नार्वेज़ियन भाषा में एक काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुका है।
आपको चौथे और छठे विश्व हिन्दी सम्मेलन, हिन्दी अकादमी नई दिल्ली, उ प्र हिन्दी संस्थान, प्रथम ओसलो इन्टरनेशनल पोएट्री फेस्टिवल और देश-विदेश में अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।
'सोनांचल साहित्यकार संस्थान, सोनभद्र आपके नाम पर देश विदेश के चुने हुए साहित्यकारों को 'सुरेशचंद्र शुक्ल नामित राष्ट्र भाषा प्रचार पुरस्कार' प्रदान करता है।

संपर्क- speil.nett@gmail.com

 

अनुभूति में डा. सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' की रचनाएँ

नई रचनाएँ
ओस्लो की सड़क पर, भीख माँगता दर-दर
बर्फ़ीला मौसम, विहँसते गुलाब
सड़क पर पर्यावरण देवी

कविताओं में-
ऊधव के पत्रों-सी बाँच रही धूप
कवि वही
कविता
तितलियाँ
दूर देश से आई चिट्ठी
दो लघु रचनाएँ
नॉर्वे एक चित्र
प्रेम हमारे प्राण
बरखा के आने पर
मेरे सगे स्नेही लगते
राजनीति और लेखनी
शिकायत
शिकायत (समंदर से)

सूरज से कम नहीं उलाहना

क्षणिकाओं में-
संयम, संबंध, बड़बोले

हाइकू में-
विरोधाभास, सूखा, प्रेम, विरही क्षण,
केंचुल सा साथ

संकलन में
गांव में अलाव - बर्फ पांच कविताएँ
गुच्छे भर अमलतास- दिन में पूनम का चाँद
तुम्हें नमन- युग पुरुष गांधी से
धूप के पांव- यह वह सूरज नहीं
मेरा भारत- धन्य भारतीय संस्कृति
वर्षा मंगल- आई बरखा बहार
वसंती हवा- आकुल वसंत
शुभकामनाएँ- जीवन में बहुरंग
नया साल - स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा
ज्योति पर्व- दीप जलाना

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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