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अनुभूति में भारत भूषण की रचनाएँ-

गीतों में-
अब खोजनी है
आज पहली बात
चक्की पर गेहूँ
जिस दिन बिछड़ गया
जिस पल तेरी याद सताए
जैसे पूजा में आँख भरे
तू मन अनमना न कर
बनफूल
मनवंशी
मेरी नींद चुराने वाले
मेरे मन-मिरगा
ये असंगति जिंदगी के द्वार
ये उर सागर के सीप
राम की जल समाधि
लो एक बजा

सौ सौ जनम प्रतीक्षा
हर ओर कलियुग


 

 

 जिस दिन भी बिछड़ गया

जिस दिन भी बिछड़ गया प्यारे
ढूँढते फिरोगे लाखों में

फिर कौन सामने बैठेगा
बंगाली भावुकता पहने
दूरों दूरों से लाएगा
केशों को गंधों के गहने
ये देह अजंता शैली सी
किसके गीतों में सँवरेगी
किसकी रातें महकाएँगी
जीने के मोड़ों की छुअनें
फिर चाँद उछालेगा पानी
किसकी समुंदरी आँखों में

दो दिन में ही बोझिल होगा
मन का लोहा तन का सोना
फैली बाहों सा दीखेगा
सूनेपन में कोना कोना
किसके कपड़ों में टाँकोगे
अखरेगा किसकी बातों में
पूरी दिनचर्या ठप होना
दरकेगी सरोवरी छाती
धूलिया जेठ वैशाखों में

ये गुँथे गुँथे बतियाते पल
कल तक गूँगे हो जाएँगे
होंठों से उड़ते भ्रमर गीत
सूरज ढलते सो जाएँगे
जितना उड़ती है आयु परी
इकलापन बढ़ता जाता है
सारा जीवन निर्धन करके
ये पारस पल खो जाएँगे
गोरा मुख लिये खड़े रहना
खिड़की की स्याह सलाखों में

१९ दिसंबर २०११

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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