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अनुभूति में आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' की रचनाएँ-

नये गीतों में-
इसरो को शाबाशी
कोशिश करते रहिये
चूहा झाँक रहा हाँडी में
जो नहीं हासिल
पीढ़ियाँ अक्षम हुई हैं
शहर में मुखिया आए

नए दोहे-
प्रकृति के दोहे

नए गीतों में-
कब होंगे आज़ाद हम
झुलस रहा है गाँव
बरसो राम धड़ाके से
भाषा तो प्रवहित सलिला है
मत हो राम अधीर

हाइकु में-
हाइकु गज़ल

गीतों में-
आँखें रहते सूर हो गए
अपने सपने
ओढ़ कुहासे की चादर
कागा आया है
चुप न रहें
पूनम से आमंत्रण
मगरमचछ सरपंच
मीत तुम्हारी राह हेरता
मौन रो रही कोयल
संध्या के माथे पर

सूरज ने भेजी है

दोहों में-
फागुनी दोहे

संकलन में-
मातृभाषा के प्रति- अपना हर पल है हिंदीमय

 

इसरो को शाबाशी

इसरो को शाबाशी
किया अनूठा काम

'पैर जमाकर
भू पर नभ ले लूँ हाथों में'
कहा कभी न्यूटन ने सत्य किया इसरो ने
पैर रखे धरती पर नभ छूते अरमान
एक छलाँग लगाई
मंगल पर
है यान

पवनपुत्र के वारिस
काम करें निष्काम

अभियंता-
वैज्ञानिक जाति-पंथ हैं भिन्न
लेकिन कोई किसी से कभी न होता खिन्न
कर्म-पुजारी सच्चे नर हों या हों नारी
समिधा लगन-समर्पण
देश हुआ
आभारी

गहें प्रेरणा हम सब
करें विश्व में नाम

३ नवंबर २०१४

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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