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अनुभूति में अजय तिवारी की रचनाएँ

गीतों में—
कैसे समझाएँ
खालीपन
जीवन - संध्या
धूप का टुकड़ा
सच्चाई
क्षण भर

 

खालीपन

बरसों बीते
प्रेम गीत कोई गुनगुनाए।

चिट्ठी-पत्री अब न आती
कौन भला दिल खोल के बोले,
संगी-साथी अब नहीं कोई
जिनकी बातों पर मन डोले।

अरसे बीते
मुंडेर पर कोई कौआ आए।

सूनी आँखें, सूखे मन
संवेदनाओं का अकाल,
वहशियों की बस्ती में
जीना हुआ मुहाल।

सालों बीते
नभ में कोई बादल छाए।

कैसे कोयल गाए
जब हो हवा विषैली,
कैसा भाईचारा
जब हो तेज़ाबी होली।

रातें बीतीं
बेला कोई आँगन महकाए।

१४ जुलाई २०१४

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