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अनुभूति में अमृत खरे की रचनाएँ-

गीतों में-
अभिसार गा रहा हूँ
गुजरती रही जिंदगी
जीवन की भूल भुलैया
जीवन एक कहानी है
देह हुई मधुशाला
फिर याद आने लगेंगे
फिर वही नाटक

 

जीवन एक कहानी है

तेरा, मेरा, सबका देखा
जीवन एक कहानी है

भीगी आँखों-वाला मौसम
कब आता, कब जाता है,
यह मत पूछो, इतना समझो
यह किस्‍मत कहलाता है ,

सुख का, दुख का, हर पल इसका
मौसम ये लासानी है

दो दिन का जीवन है प्‍यारे
बैर करे या प्‍यार करे,
चाहे तो बिन मोल बिके तू
चाहे तो व्‍यापार करे,

किसकी खातिर, किसको छलना
दुनिया आनी-जानी है

कागज के फूलों पर रीझे
लोग हैं, महकन क्‍या जाने,
केवल चेहरे रखने वाले
दिल की धड़कर क्‍या जाने,

जिसमें जितनी गहराई है,
उसमें उतना पानी है

१३ जून २०११

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