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अनुभूति में आनंद शर्मा की रचनाएँ—

नए गीतों में-
कुछ तो होना ही था

तम का पीना आसान नहीं होता
यायावर जैसा जीवन जीते हैं
यह अँधेरा तो नया बिलकुल नया है
यह नगर व्यापारियों का है

गीतों में-
गंगाजल वाले कलश
मेरे मन के ताल में

  यायावर जैसा जीवन जीते हैं

भटकन मेँ अब तक सब दिन जीते हैं
यायावर जैसा जीवन जीते हैं

जयमाला लिए खड़ी होगी मंज़िल
उस क्षण हम रेगिस्तानों में होंगे
उत्सव जब हमको ढूँढ रहा होगा
हम आंधी के यजमानों में होंगे

अब एक असंगति हो तो कह डालें
जो हमें मिले वे सब घट रीते हैं
यायावर जैसा जीवन जीते हैं

वैसे प्यासों के फूल बताशे हैं
पर स्वयं जन्म से ही हम प्यासे हैं
यों धुआँ-धुआँ अस्तित्व किए फिरते
लेकिन दुनिया के लिये तमाशे हैं

सागर से सूरज जितना ला देता
बस उतना खारा जल हम पीते हैं
यायावर जैसा जीवन जीते हैं

जब बहुत विकल होकर हम रो देते
पर्वत तक पर नंदन वन बो देते
मिल जाए जग को सावन का मौसम
बन बूँद-बूँद हम सब कुछ खो देते

बन गए डाकिये यक्ष प्रिया के भी
दुनिया को हमसे बड़े सुभीते हैं
यायावर जैसा जीवन जीते हैं

४ मई २००९

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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