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अनुभूति में आशाराम त्रिपाठी की रचनाएँ—

गीतों में—
उजियारा कुछ मंद हो गया
ऐसा उपवन हो
कविता से
मुरझाई कली
हे बादल

अंजुमन में—
दरपन ने कई बार कहा है
सहसा चाँद उतर आता है

संकलन में—
लहर का कहर– सुनामी लहरें

 

 

हे! बादल

हे बादल! तुम बहुत दूर हो
कुछ करीब आओ तो जाने
चिर अपलक आकुल अखियों की
प्यास बुझाओ तो जाने

आदी हो गए ऊँचाई के
उड़ने के डगर हवाई के
गर्जन–तर्जन ओले–शोले
ये करतब आताताई के
तितली भौंरे कलियाँ फलियाँ
इनको दुलराओ तो जाने

जिनके दामन में दाग बहुत
उन शिखरों से अनुराग बहुत
धरती के स्वर न समझ सके
गाए हैं बादल राग बहुत
ग्वालिन मालिन घसियारिन
संग लांगुरिया गाओ तो जाने

बस रहे गरजते अंबर से
बरसे तो सागर में बरसे
खेती के आँचल तरस गए
हो बड़े निठुर तुम न तरसे
घीसू माधव गोबर धनिया
से भी बतियाओ तो जाने

१ जून २००६

 

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