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अनुभूति में अटल बिहारी वाजपेयी की रचनाएँ-

गीतों में-
क्या खोया क्या पाया
कदम मिला कर चलना होगा
दूध में दरार पड़ गई
दो अनुभूतियाँ
मनाली मत जइयो
मौत से ठन गयी

संकलन में-
गाँव में अलाव – ना मैं चुप हूँ न गाता हूँ
मेरा भारत– पन्द्रह अगस्त की पुकार
नया साल– एक बरस बीत गया
ज्योतिपर्व– आओ फिर से दिया जलाएँ

 

मौत से ठन गई

ठन गई!
मौत से ठन गई!

जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,

रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
यों लगा ज़िन्दगी से बड़ी हो गई।

मौत की उम्र क्या है? दो पल भी नहीं,
ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं।

मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूँ,
लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूँ?

तू दबे पाँव, चोरी-छिपे से न आ,
सामने वार कर फिर मुझे आजमा।

मौत से बेख़बर, जिन्दगी का सफ़र,
शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर।

बात ऐसी नहीं कि कोई गम ही नहीं,
दर्द अपने-पराए कुछ कम भी नहीं।

प्यार इतना परायों से मुझको मिला,
न अपनों से बाकी हैं कोई गिला।

हर चुनौती से दो हाथ मैंने किये,
आँधियों में जलाए हैं बुझते दिये।

आज झकझोरता तेज़ तूफान है,
नाव भँवरों की बाँहों में मेहमान है।

पार पाने का कायम मगर हौसला,
देख तेवर तूफाँ का, तेवरी तन गई।

मौत से ठन गई।

८ दिसंबर २००१

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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