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अनुभूति में दिनेश सिंह की रचनाएँ-

नई रचनाओं में-
अकेला रह गया
चलो देखें
नाव का दर्द
प्रश्न यह है
भूल गए
मैं फिर से गाऊँगा
मौसम का आखिरी शिकार

गीतों में-
आ गए पंछी
गीत की संवेदना
चलती रहती साँस
दिन घटेंगे
दिन की चिड़िया
दुख के नए तरीके
दुख से सुख का रिश्ता
नए नमूने
फिर कली की ओर
लो वही हुआ
साँझ ढले

हम देहरी दरवाजे

संकलन में-
फूले फूल कदंब- फिर कदंब फूले

 

नए नमूने

कई रंग के फूल बने
काँटे खिल के
नई नस्ल के नये नमूने
बेदिल के

आड़ी-तिरछी
टेढ़ी चालें
पहने नई-नई सब खालें
परत-दर-परत हैं पंखुरियों के
छिलके

फूले नये-
नये मिजाज में
एक अकेले के समाज में
मेले में अरघान मचाये हैं
पिलके

भीतर-भीतर
ठनाठनी है
नेंक-झोंक है तनातनी है
एक शाख पर झूला करते
हिलमिल के

व्यर्थ लगें अब
फूल पुराने
हल्की खुशबू के दीवाने
मन में लहका करते थे हर
महफिल के

१४ फरवरी २०११

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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