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अनुभूति में गिरि मोहन गुरु की रचनाएँ—

गीतों में—
सभा थाल
पत्ते पीत हुए
बूँदों के गहने
मंगल कलश दिया माटी के
कंठ सूखी नदी

उमस का गाँव
कामना की रेत

अंजुमन में—
एक पौधा
फूल के दृग में उदासी

दोहों में—
दोहों में व्यंग्य

संकलन में—
धूप के पाँव- आग का जंगल
नया साल- नए वर्ष का गीत
अमलतास- अमलताश के फूल
प्रेम कविताएँ- मानिनी गीत

 

फूल के दृग में उदासी

फूल के दृग में उदासी देखकर लिखना पड़ा
कंटकों की भीड़ खासी देखकर लिखना पड़ा

एक असफलता के जंगल में बिलखती चीखती
कामना हर एक प्यासी देखकर लिखना पड़ा

बेरुखी के खंडहर में भी उजाला था कहीं
प्यार की आभा ज़रा-सी देखकर लिखना पड़ा

अभावों की आँधियों में थरथराती काँपती
ज़िंदगी जलती दिया-सी देखकर लिखना पड़ा

माँ का गठिया हाईब्लड प्रेसर पिताजी का गुरु
और दादा जी की खाँसी देखकर लिखना पड़ा

16 अक्तूबर 2007

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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