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अनुभूति में मृदुल शर्मा की रचनाएँ-

नए गीतों में-
आँख दिखाई है
कठिन समय है
गीत छौने
भूल की

रस्मी प्रणाम से

गीतों में-
किसी की याद आई
खत मिला
जोड़ियों को तो बनाता है सदा रब
दूर ही रहो मिट्ठू

पितृपक्ष में
यह मत पूछो

संकलन में-
तुम्हें नमन- क्षमा बापू

 

कड़ी धूप में

कड़ी धूप में
जलते पथ पर
जब-जब मिले
बरगदी साये।
बापू!
बहुत याद तुम आये।

फतुही फटी पसीने भीगी
पाँवों में फट रही बिवाई
हारा-थका झुर्रियाँ चेहरा
आँखें गहरे खड्ड समानी
कोई दिखा आत्म संवादी
आसमान पर नजर टिकाये।
बापू!
बहुत याद तुम आये।

रेगिस्तान नापती फिरतीं
जब तब देखी हिरना आँखें।
तूफानों से विवश जूझते
कबूतरों की टूटी पाँखें।
बाज देख
गौरैया ने जब
निज चूजों पर पर फैलाये।
बापू!
बहुत याद तुम आये।

१ जून २०१५

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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