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अनुभूति में राधेश्याम बंधु की
रचनाएँ-

नए गीतों में-
मौन को उत्सव बनाओ
यादों की खुशबू
यादों की निशिगंधा
ये सफेदपोश बादल
रिश्तों का अहसास

गीतों में-
क्यों नदियाँ चुप हैं
कजरारे बादल
जेठ की तपती दोपहरी में
धान रोपते हाथ
धैर्य का कपोत
निष्ठुर बादल
प्यासी नदी
बहुत घुटन है
भारत क्यों प्यासा
शब्दों के पंख

संकलन में-
रूप बादल हुआ

 

 

यादों की निशिगंधा

पिछवाड़े
बेला संग, बतियाती चाँदनी,
रिश्तों की
उलझन को, सुलझाती चाँदनी

चाहो तो बाहों को
हथकड़ी बना लेना
मौन के कपोलों पर
सन्धिपत्रा लिख देना ।
एकाकी
जीना क्या, समझाती चाँदनी ?

यादों के जूड़े में
मौलश्री टाँक दो
मिलनों के गजरे से
सपनों को बाँध लो
महुआ तन
छेड़ - छेड इठलाती चाँदनी

यादों की निशिगंधा
रात - रात जागती
मिलनों की एक रात
पूनम से माँगती

गंधों की
पाती नित, लिखवाती चाँदनी

२१ नवंबर २०११

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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