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अनुभूति में राणा प्रताप सिंह की रचनाएँ -

अंजुमन में-
एक टूटे तार की
तुमने जब कुछ बात कही थी

बड़ी मेहनत से
मैं भीतर से
सुल्तान जो अपना है

गीतों में-
अनगढ़ मन
आई है वर्षा ऋतु
नया कोई गीत ले
रीत रही है प्रतिपल

 

बड़ी मेहनत से

बड़ी मेहनत से जो पाई वो आज़ादी बचा लेना
तरक्की के सफ़र में थोडा सा माजी बचा लेना

बनाओ संगेमरमर के महल चारों तरफ पक्के
मगर आँगन के कोने में ज़रा माटी बचा लेना

चुभी थी फाँस बनकर गोरी आँखों में कभी खादी
न होने पाए इसकी आज बदनामी बचा लेना

कोई भूखा नहीं लौटे तुम्हारे दर से इस खातिर
तुम अपने खाने में से रोज़ दो रोटी बचा लेना

लगा पाओ वतन पर मरने वालों का कोई बुत भी
कोई नुक्कड़ तुम अपने बुत से भी खाली बचा लेना

२३ सितंबर २०१३

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