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अनुभूति में राणा प्रताप सिंह की रचनाएँ -

अंजुमन में-
एक टूटे तार की
तुमने जब कुछ बात कही थी

बड़ी मेहनत से
मैं भीतर से
सुल्तान जो अपना है

गीतों में-
अनगढ़ मन
आई है वर्षा ऋतु
नया कोई गीत ले
रीत रही है प्रतिपल

 

नया कोई गीत लें

नया कोई गीत लें
जंग चलो जीत लें

घटती है नम्रता
बढ़ती उद्विग्नता
चुकती शालीनता

मीठा पाया है बहुत
आज चलो तीत लें

कथनी को तोल दे
दूजों को मोल दें
वातायन खोल दे

भीड़ भरी दुनिया में
खोज नया मीत लें

दृश्य ये विहंगम है
कष्टों का संगम है
जग सारा जंगम है
बासंती झोंके तज
आज शिशिर शीत लें

२७ सितंबर २०१०

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