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अनुभूति में रमेशचंद्र शर्मा 'आरसी' की रचनाएँ -

नए गीतों में-
आँख के काजल
उगते सूरज को
यों न ठुकरा
शब्द की इक नदी

गीतों में-
खुद्दारी
चूड़ियाँ
ज़िन्दगी
बसंत गीत

मेरे गीत क्या है
सूर्य की पहली किरण हो

अंजुमन में-
काली कजरारी रातों में
मेरे गीतों को


संकलन में-
ममतामयी- माँ कुछ दिन
दिये जलाओ- दिवाली के दोहे

  मेरे गीत क्या हैं?

ये हृदय में कुछ भावों का अंकुरण हैं।
सरल इनकी भाषा, सरल व्याकरण है।
ये जप हैं, ये तप हैं, ये पूजा है मेरी,
ये मेरी तपस्या का लोकार्पण है।

ये शूलों पे ज्यूं फूल का आवरण हैं।
ये आकाश गंगा का भू अवतरण हैं।
अगर आप चाहें इन्हें गीत कह लें,
मेरी आत्मा, मेरा अन्त:करण है।

ये शबरी की भक्ति का रूपांतरण हैं।
ये लंका दहन हैं, ये सीता हरण हैं।
अटल हैं ये अंगद के एक पाँव जैसे,
ये पत्थर शिला का अहिल्याकरण हैं।

आषाढ़ों में आसोजी वातावरण हैं।
ये जन गण की पीड़ा का सरलीकरण हैं।
यों माने मेरे छन्द औ' मेरी ग़जलें,
ज्यूं मृत्यु का जीवन से पाणिग्रहण हैं।

मेरे शब्दों में ये तो जन जागरण हैं।
ये आत्मा के उत्सर्ग का स्फुरण हैं।
ये संवेदनाओं की सूखी शिरा में,
उबलते हुए रक्त का संचरण हैं।

ये मीरा के भजनों के नव संस्करण हैं।
ये कृष्ण और राधा का एकीकरण हैं।
ये पीड़ा है बनवासी राम और लखन की,
ये जीवन है मेरा, ये मेरा मरण हैं।

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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