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अनुभूति में शिवानंद सहयोगी की रचनाएँ-

गीतों में-
जब से पेड़ कटा
पैसा एक प्रमेय
मन ठीक नहीं है
मौसी के अमरूद के पास
रोटी का अनुलोम-विलोम

 

 

मौसी के अमरूद के पास

झिलँगी एक खटोली
लेटी रहती थी
मौसी के अमरूद के पास

एक उमर की बुढ़िया-बुढ़िया
पाँव जमाये रहती थीं
छोटी सी छाया के नीचे
गाँव बसाये रहती थीं

बछिया एक मझोली
बैठी रहती थी
मौसी के अमरूद के पास

खेतों पर हर दिन मजदूरी
रोजगार पर आती थी
देह पसीने की गंगा में
गाते गीत नहाती थी

मरमी एक रँगोली
हँसती रहती थी
मौसी के अमरूद के पास

पगडंडी का आना-जाना
रोज इधर से होता था
गीली माटी की गड़ही में
पाला पिल्ला सोता था

छोटी एक खँचोली
बुनती रहती थी
मौसी के अमरूद के पास

१ जुलाई २०१६

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