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अनुभूति में शिवानंद सहयोगी की रचनाएँ-

गीतों में-
जब से पेड़ कटा
पैसा एक प्रमेय
मन ठीक नहीं है
मौसी के अमरूद के पास
रोटी का अनुलोम-विलोम

 

 

रोटी का अनुलोम-विलोम

हम करते आये हैं अबतक
रोटी का अनुलोम-विलोम

झाँके मंगल के शहरों में
और चाँद के गाँव निहारे
खिली अमावस की रातों में
रहे गूँथते नभ के तारे

पारपत्र लेकर नवग्रह का
ग्रह-पथ नापे हर सुरभी का
लाँघ चुके हैं कइयों व्योम

सतरंगी किरणों के अंचल
नई कहानी की अभिलाषा
आसमान में टँगी खोज की
अपनी एक अलग परिभाषा

सबकी अपनी-अपनी गुरुता
नभमंडल की अपनी सुरता
नहीं मिला है कोई रोम

तथ्यों के तद्भव-तत्सम को
गीतों के मुखड़ों में ढाला
पड़ा हुआ अवगाहन दूषित
गंगाजल से भरा पियाला

आत्मत्याग के हवन-कुण्ड में
जूझ रहा सम्मान झुण्ड में
जिनिगी होती अकलुष होम

१ जुलाई २०१६

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