अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में डॉ. सुधा गुप्ता की रचनाएँ-

नई रचनाओं में-
नौ ताँका कविताएँ

नए हाइकु
हेमंत ऋतु हाइकु मे

हाइकु में-
हाइकु

संकलन में-
होली है- फूलों की पाग (हाइकु)

 

  नौ ताँका कविताएँ


ज्वर से तपे
जंगल के पैताने
आ बैठी धूप
प्यासा बेचैन रोगी
दो बूँद पानी नहीं



बहुत छोटा
तितली का जीवन
उड़ती रहे
पराग-पान करे
कोई कुछ न कहे



अपने भार
झुका हरसिंगार
फूलों का बोझ
उठाए नहीं बने
खिले इतने घने



पाँत में खड़े
गुलमोहर सजे
हरी पोशाक
चोटी में गूँथे फूल
छात्राएँ चलीं स्कूल



फेंकता आग
भर-भर के मुट्ठी
धरा झुलसी
दिलजला सूरज
जलाके ही मानेगा



सुन रे बच्चे
सपने तेरे बड़े
नयन छोटे
आकाश तेरा घर
ले उड़ान जीभर



मीठी है हँसी
मधुर बचपन
बेफ़िक्र दौड़
सपनों की गठरी
उटाए फिरे मन



बिना पंख के
उड़ती है लड़की
खुले आकाश
बरज रही दुनिया
माने न कोई बाधा



सूरज हँसे
धरा कैसी दीवानी
अजब नशा
रोज़ देखे सपने
कभी न हों अपने

२३ मई २०११

 

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter