अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में अमित खरे की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
एकतरफा
गांधारी
प्यार
विषकन्या
संबन्ध
 




 

 

संबन्ध

पता नहीं ये कब से बन गया
ठीक-ठीक, पल-छिन कुछ याद नहीं
कोशिश करें तो भी कुछ याद नहीं आता
फिर कभी लगता है
शायद ये हमेशा से ही था
हमारे बीच।

शायद पिछले जन्म से
या उससे भी पहले से
शायद आदम के समय से
या उससे भी पहले से
कुछ याद नहीं
पर कुछ विश्वास सा हो चला है
कि यों ही रहेगा ये
अनन्त तक।

भविष्य में भी
मिल ही जायेंगे, हम, हर जन्म में
इसी तरह हमेशा
शायद...

१ जुलाई २०२२

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter