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अनुभूति में अनामिका सिंह की रचनाएँ-

गीतों में-
अनुसंधान चरित पर तेरे
अम्मा की सुध आई
चिरैया बचकर रहना
नाखून सत्ता के
राजा बाँधे शगुन कलीरे
 

अंजुमन में-
कसक उनके दिल में
चलो दोनों चलें
दिल में दुआएँ थीं
रोग है पैसा कमाना
ये सोचना बेकार है

  अम्मा की सुध आई

शाम सबेरे शगुन मनाती
खुशियों की परछाई
अम्मा की सुध आई

बड़े सिदौसे उठी बुहारे
कचरा कोने - कोने
पलक झपकते भर देती
थी नित्य भूख को दोने

जिसने बचे खुचे से अक्सर
अपनी भूख मिटाई
अम्मा की सुध आई

तुलसी चौरे पर मंगल के
रोज चढ़ाए लोटे
चढ़ बैठीं जा उसकी खुशियाँ
जाने किस परकोटे

किया गौर कब आँखों में थी
जमी पीर की काई
अम्मा की सुध आई

पूस कटा जो बुने रात-दिन
दो हाथों ने फंदे
आठ पहर हर बोझ उठाया
थके नहीं वो कंधे

एक इकाई ने कुनबे की
जोड़े रखी दहाई
अम्मा की सुध आई

बाँधे रखती थी कोंछे हर
समाधान की चाबी
बनी रही उसके होने से
बाखर द्वार नवाबी

अपढ़ बाँचती मौन पढ़ी थी
जाने कौन पढ़ाई
अम्मा की सुध आई

१ फरवरी २०२२

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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