अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में अनिरुद्ध सेंगर की रचनाएँ-

अंजुमन में-
आपके शहर का काम
क्योंकर तुम्हें गुमान
दिल के सोये हुए जज़्बात
दिल मेरा
हम क्या बताएँ
 

 

दिल के सोये हुए जज्बात

दिल के सोये हुए जज़्बात जगा देता हूँ
मैं इन्क़िलाब को लाने की सदा देता हूँ

तुमने समझा ही नहीं मेरी कला को ऐ दोस्त
मैं तो पत्थर को भी भगवान बना देता हूँ

जुल्म सहकर भी गवारा नहीं मुझको नफ़रत
मैं फ़क़ीरों की तरह सबको दुआ देता हूँ

लक्ष्य से हट नहीं सकता है इरादा मेरा
जो भी करना है उसे करके दिखा देता हूँ

मुझको अच्छी नहीं लगती है ख़मोशी हरदम
इसलिए जब कभी कोहराम मचा देता हूँ

मैं हूँ‘अनिरुद्ध’ मेरा काम है बस राहबरी
भूले भटकों को मैं मंज़िल का पता देता हूँ

३० जून २०१४

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter