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अनुभूति में अनिरुद्ध सेंगर की रचनाएँ-

अंजुमन में-
आपके शहर का काम
क्योंकर तुम्हें गुमान
दिल के सोये हुए जज़्बात
दिल मेरा
हम क्या बताएँ
 

 

हम क्या बताएँ

हम क्या बताएँ कैसे गुज़रती है ज़िन्दगी
खा-खा के ठोकरों को सँवरती है ज़िन्दगी

पहरे बिठा रखे हैं ये मौसम ने हर तरफ
उसको पता कहाँ कि बहकती है ज़िन्दगी

दिल में तेरे छुपा है जो उसकी तलाशकर
क्यों दर-व-दर सुकूँ को भटकती है ज़िन्दगी

जब से चलन दहेज का दुनिया में हो गया
पीड़ा,घुटन के साथ सुलगती है ज़िन्दगी

वो एक तितली फूल की गोदी में सो गई
तब जाना उसने कैसे महकती है ज़िन्दगी

उड़ते हैं जो ‘अनिरुद्ध’ ये आज़ाद परिन्दे
मस्ती में रोज इनकी गुजरती है ज़िन्दगी

३० जून २०१४

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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