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अनुभूति में आशीष नैथानी सलिल की रचनाएँ-

अंजुमन में--
ख़ता करके
चन्द सिक्के दिखा रहे हो
पहाड़ों पर सुनामी थी
बेमुनव्वर जिंदगी होने लगी
मुस्कुराना छोड़कर
सहर को सहर

 

मुस्कुराना छोड़कर जाऊँ कहाँ

मुस्कुराना छोड़कर जाऊँ कहाँ
आबो-दाना छोड़कर जाऊँ कहाँ।

दिल लगाना छोड़कर जाऊँ कहाँ
ये फ़साना छोड़कर जाऊँ कहाँ।

जिस ज़माने ने दिया सब कुछ मुझे
वो ज़माना छोड़कर जाऊँ कहाँ।

धूप जंगल छाँव पानी और हवा
घर सुहाना छोड़कर जाऊँ कहाँ।

छूट जाएँ गर ये साँसें ग़म नहीं
गीत गाना छोड़कर जाऊँ कहाँ।

१७ फरवरी २०१४

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