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अनुभूति में कमलेश द्विवेदी की रचनाएँ-

अंजुमन में-
अपनी खुशियाँ हम बाँटेंगे
आज नहीं तो कल
किसने हिम्मत हारी है
हर युग में वनवास

 

आज नहीं तो कल होंगे

आज नहीं तो कल होंगे
लेकिन मसले हल होंगे।

जो सबको पागल समझे
खुद कितने पागल होंगे।

जैसा पेड़ लगाओगे
वैसे ही तो फल होंगे।

जो न डरें नाकामी से
वे ही लोग सफल होंगे।

किसकी होंगी झोपड़ियाँ
किसके राजमहल होंगे।

जितने कीचड़ में डूबे
क्या वे सभी कमल होंगे।

१८ फरवरी २०१३

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