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अनुभूति में कमलेश द्विवेदी की रचनाएँ-

अंजुमन में-
अपनी खुशियाँ हम बाँटेंगे
आज नहीं तो कल
किसने हिम्मत हारी है
हर युग में वनवास

 

अपनी खुशियाँ हम बाँटेंगे

अपनी खुशियाँ हम बाँटेंगे
और तुम्हारे ग़म बाँटेंगे।

जब आयेंगी मस्त बहारें
क्या-क्या ये मौसम बाँटेंगे।

तुम आँखों को आँसू दोगे
हम गुल को शबनम बाँटेंगे।

बेटो आपस में मत उलझो
जो बाँटेंगे, हम बाँटेंगे।

जो भी है वो देंगे सबको
थोड़ा है, कम-कम बाँटेंगे।

१८ फरवरी २०१३

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