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अनुभूति में कुमार आशीष की रचनाएँ-

अंजुमन में-
कोई चाह गुनगुनाई है
ज़िन्दगी़ मेरी
तू ऐसी चीज नहीं है
संसार लुटाता है
सादगी

  कोई चाह गुनगुनाई है

फिर कोई चाह कुनमुनाई है
फिर कहीं ओस झिलमिलाई है

फिर मेरी शाम भीगी भीगी है
फिर मेरी सोच में तनहाई है

फिर तेरी आग कुछ मुलायम है
फिर वही शब वही रुलाई है

और ये रात चौदवीं है सुन
फिर मुझे नींद नहीं आई है

फिर नए जंगलों से गुजरा हूँ
फिर मेरी उम्र लड़खड़ाई है

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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