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अनुभूति में कुमार आशीष की रचनाएँ-

अंजुमन में-
कोई चाह गुनगुनाई है
ज़िन्दगी़ मेरी
तू ऐसी चीज नहीं है
संसार लुटाता है
सादगी

  तू ऐसी चीज नहीं है

तू ऐसी चीज नहीं है कि भुलाये तुझको
जुनूँ की हद से गुजर जाये तो पाये तुझको

तू मेरी हार भी है जीत भी सुलह भी है
न जाने नाम क्या लेकर के बुलाये तुझको

अभी तो नज्म मुझे तुझको वो सुनानी है
जो सोच सोच के रह रह के रुलाये तुझको

सादगी

सादगी आँख की किरकिरी हो गयी
छोड़िए बात ही दूसरी हो गयी

उसकी आहट के आरोह अवरोह में
चेतना डुबकियों से बरी हो गयी

नन्दलाला की मुरली की इक तान पर
राधा सुनते हैं कि बावरी हो गयी

मेरी कमियाँ भी अब मुझपे फबने लगीं
वाकई ये तो जादूगरी हो गयी

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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