अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में कुमार आशीष की रचनाएँ-

अंजुमन में-
कोई चाह गुनगुनाई है
ज़िन्दगी़ मेरी
तू ऐसी चीज नहीं है
संसार लुटाता है
सादगी

  जिन्दगी़ मेरी

जिन्दगी मेरी मुझसे डरती है
मुझसे नजरें बचा के चलती है।

दर्द का फर्श इतना चिकना है
रात अक्सर फिसल के गिरती है।

दिल की सुनसान झील में अक्सर
कोई परछाईं-सी उभरती है।

उसके पावों की सोच लेता हूँ
जिसकी आहट से साँस चलती है।

लोग मुझसे तो ये भी कहके गये
उसकी सूरत मुझ ही से मिलती है।

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter