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अनुभूति में संजू शब्दिता की रचनाएँ-

नई रचनाओं में-
कैसी ये मुलाकात
जरा सी बात पर
हमारी बात
हम भी अखबारों में
हमें आदत है

अंजुमन में—
ये इश्क
सिर्फ कानों सुना नहीं जाता
वो मेरी रूह
हँसते मौसम
हुए रुखसत दिले-नादा

 

हमारी बात

हमारी बात उन्हें इतनी नागवार लगी
गुलों की बात छिड़ी और उनको खार लगी

बहुत सँभाल के हमने रखे थे पाँव मगर
जहाँ थे जख्म वहीं चोट बार-बार लगी

कदम कदम पे हिदायत मिली सफर में हमें
कदम कदम पे हमें ज़िंदगी उधार लगी

नहीं थी कद्र कभी मेरी हसरतों की उसे
ये और बात कि अब वो भी बेकरार लगी

मदद का हाथ नहीं एक भी उठा था मगर
अजीब दौर कि बस भीड़ बेशुमार लगी

१ दिसंबर २०१४

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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