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अनुभूति में संजू शब्दिता की रचनाएँ-

ई रचनाओं में-
कैसी ये मुलाकात
जरा सी बात पर
हमारी बात
हम भी अखबारों में
हमें आदत है

अंजुमन में—
ये इश्क
सिर्फ कानों सुना नहीं जाता
वो मेरी रूह
हँसते मौसम
हुए रुखसत दिले-नादा

 

हम भी अखबारों में

हम भी अखबारों में जब इक दिन छपे थे
दोस्तों की शक्ल पर बारह बजे थे

अब सुनो मंजिल तुम्हें हम क्या बताएँ
इक तुम्हारे वास्ते क्या-क्या सहे थे

घर भी छूटा द्वार भी औ जाने क्या-क्या
पर उमीदों के सहारे भी घने थे

दिन गुजारे गम को खाकर आँसू पीकर
इस तरह किरदार अपना हम गढ़े थे

याद है हमको अभी तक सब खिलाफ़त
किस कदर अपने सभी दुश्मन बने थे

और वो इक वाकया था खूब यारो
जब चने के झाड़ पर हम भी चढ़े थे

१ दिसंबर २०१४

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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