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कैसी ये मुलाकात
जरा सी बात पर
हमारी बात
हम भी अखबारों में
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अंजुमन में—
ये इश्क
सिर्फ कानों सुना नहीं जाता
वो मेरी रूह
हँसते मौसम
हुए रुखसत दिले-नादा

 

सिर्फ कानों सुना नहीं जाता

सिर्फ कानों सुना नहीं जाता
लब से सब कुछ कहा नहीं जाता

दर्द की इन्तहा हुई यारों
मुझसे अब यूँ सहा नहीं जाता

देश का हाल जो हुआ है अब
चुप तो मुझसे रहा नहीं जाता

चुन के मारो सभी दरिन्दों को
माफ इनको किया नहीं जाता

वो खता बार- बार करता है
फिर सज़ा क्यों दिया नहीं जाता

है भला क्या तेरी परेशानी
बावफ़ा जो हुआ नहीं जाता

कैसे वादा निभाऊँ जीने का
तेरे बिन अब जिया नहीं जाता

१६ दिसंबर २०१३

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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