अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में सिया सचदेव की रचनाएँ— 

अंजुमन में--
काम कुछ ऐसा न कर जाऊँ
ज़िंदगी इस तरह
तजुर्बो ने ये सिखाया है
मैं हिफाज़त से

 

तजुर्बों ने ये सिखाया है

इन तजुर्बो ने ये सिखाया है
ठोकरे खा के इल्म पाया है

क्या हुआ आज कुछ तो बतलाओ
क्यों ये आँसू पलक तक आया है !

दुश्मनों ने तो कुछ लिहाज़ किया
दोस्तों ने बहुत सताया है !

आसमां, ज़िंदगी, जहाँ, हालात
हम को हर एक ने आज़माया है !

अब रुकेंगे तो सिर्फ़ मंजिल पर
सोचकर यह क़दम उठाया है !

ऐ "सिया" हम हैं उस मक़ाम पर आज
धूप है सर पे और न साया है !

२६ सितंबर २०११

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter