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अनुभूति में सुधेश की रचनाएँ-

अंजुमन में-
ऊँची बड़ी सरकार है
कुछ सपने
दोस्ती में दुश्मनी
सारा जगत अब

' दोस्ती में दुश्मनी

दोस्ती में दुश्मनी शामिल हमारी
हाय निकली ज़िन्दगी क़ातिल हमारी

हुस्न की शमाअ जली है चाँदनी में
जलवा तेरा है मगर महफ़िल हमारी

शमा परवाने वही हैं रोशनी भी
लूट लो आकर तुम्हीं महफ़िल हमारी

आज दिल की बस्ती में पहरे लगे हैं
दर्द कैसे हो बयाँ मुश्किल हमारी

ज़िन्दगी की शाम गहराने सगी है
एक मृगतृष्णा बनी मंज़िल हमारी

कौन कातिल है यहाँ कैसे कहूँ अब
जिस्म सालिम रूह है बिस्मिल हमारी

८ दिसंबर २०१४

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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