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अनुभूति में सुधेश की रचनाएँ-

अंजुमन में-
ऊँची बड़ी सरकार है
कुछ सपने
दोस्ती में दुश्मनी
सारा जगत अब

'

ऊँची बड़ी सरकार है

ऊँची बड़ी सरकार है
हर दम लगा दरबार है

वह लूट कर सब खागया
पर देशका शृंगार है

सब कुछ जलेगा एक दिन
जन में दबा अंगार है

जो कार भी नीचे नहीं
तो ज़िन्दगी बेकार है

आसान मरना आजकल
जीना बड़ा दुश्वार है

बातें बहुत बातें हुईं
अब काम की दरकार है

सच के लिए जो मर मिटे
वह देश का शृंगार है

हाँ अब दिलों के बीच में
इक चीन की दीवार है

८ दिसंबर २०१४

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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