अनुभूति में
सुधेश की रचनाएँ-
अंजुमन में-
ऊँची बड़ी सरकार है
कुछ सपने
दोस्ती में दुश्मनी
सारा जगत अब |
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कुछ सपने
कुछ सपने प्यारे होते हैं
ज्यों पाहुन न्यारे होते हैं
चन्दा की किरणों से दिपते
मावस के तारे होते हैं
जग में कुछ-कुछ हम जैसे भी
क़िस्मत के मारे होते हैं
पापी की आँखों में पापी
सारे के सारे होते हैं
जग चौपड़ में दुर्योधन के
बस वारे न्यारे होते हैं
उन के चेहरे चिकने चुपड़े
जिन के दिल कारे होते हैं
मरुथल में ज्यों शीतल झरना
तुम जैसे प्यारे होते हैं
८ दिसंबर २०१४ |