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एक सवेरा साथ रहे
जैसे बाज़ परिंदों में
तनहा क्या करता
तपेगा जो
तुमने जो पथराव जिये
तेरा ही तो हिस्सा हूँ
बच्चे
मैं था तनहा
रस्ता तो इकतरफ़ा था

 

जैसे बाज परिंदों में

जैसे बाज़ परिंदों में
मेरा क़ातिल अपनों में।

अब इंसानी रिश्ते हैं
सिर्फ़ कहानी-किस्सों में।

पढ़ना-लिखना सीखा तो
अब हूँ बंद किताबों में।

मौसम को महसूस करूँ
ख़बरों से अखबारों में।

मेरे पैर ज़मीं पर हैं
खुद हूँ चाँद-सितारों में।

२८ सितंबर २००९

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