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अनुभूति में आग्नेय की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
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प्रतिध्वनि
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मरण

  प्रतिध्वनि

देखना
एक दिन
इस तरह चला जाऊँगा
ढूँढोगी तो दिखूँगा नहीं
लौटता रहा हूँ बार-बार
प्रतिध्वनि बनकर
तुम्हारे जीवन में
देखना
एक दिन
इस तरह चला जाऊँगा
लौट नहीं पाऊँगा
प्रतिध्वनि बन कर
तुम्हारे जीवन में ।

१८ मई २००९

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