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अनुभूति में आनंद क्रांतिवर्धन की रचनाएँ

दोपाया चौपाया
पानी उर्फ गधा
प्रायोजित वनवास
प्रेमशिला
राजू का सपना

 

दोपाया चौपाया

संकरी-सी सड़क पर,
कार ने अकड़ कर,
साइड माँगने के लिए
हॉर्न बजाया,
साइकिल ने,
डुगडुगी की तरह हाथ नचाया-

बड़ी जल्दी है?
क्या रेल छूट जाएगी,
जगह मिलने पर ही
साइड दी जाएगी।

यह सुनते ही
कार का पारा
आसमान पर चढ़ गया,
और पैर का दबाव
एक्सीलरेटर पर बढ़ गया-

मरियल-सी साइकिल
और ये ठाठ!
ले अब धूल चाट

कार ने
गड्ढे में पड़ी साइकिल को
आँख दिखाई-
मुझसे मुकाबला करने चली थी?
अब समझ में आया?

हाँ आया
कराहते हुए साइकिल ने फ़रमाया
मेरा तेरा क्या मुकाबला
मैं दोपाया
तू चौपाया

जनवरी २००८

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