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अनुभूति में आनंद क्रांतिवर्धन की रचनाएँ

दोपाया चौपाया
पानी उर्फ गधा
प्रायोजित वनवास
प्रेमशिला
राजू का सपना

 

राजू का सपना

राजू कई दिनों से
लगातार जाग रहा है
उसे नींद नहीं आती
उसकी पलकें नहीं झपकतीं
उसकी लाल-लाल पुतलियाँ
बाहर को उबल आई हैं,
और बावजूद इसके कि
डॉक्टर ने उसे
नींद की दवा पिलाई है,
जेल की कोठरी में बंद
राजू जाग रहा है
कई दिनों से
लगातार जाग रहा है

राजू स्कूल नहीं जाता
वह राजघाट पर गुब्बारे बेचता है
और लकड़ी के कोयलों पर नहीं
पेट की आँच पर भुट्टे सेंकता है
ज़िंदगी की पाठशाला ने
उसे सब कुछ सिखा दिया है
दस बरस के मासूम बच्चे को
बालिग बना दिया है
हिसाब उसे पूरा आता है
भले ही
वह शेयर मार्कीट के रेट नहीं जानता
पर उसकी अपनी बस्ती में
क्या रेट चल रहा है
वह सब जानता है

वह जानता है कि
सोलह की होते ही
लड़की की कीमत कम से कम
पाँच हज़ार हो जाती है
नहीं तो घर बैठे ही
सौ रुपए तक रोज़ कमाती है
माँ की दवा से लेकर
बाप की दारू तक का
पूरा बोझ उठाती है

उसका बाप रिक्शा चलाता है
स्मैक पीता है
और अँधेरा होते ही
नशे में लड़खड़ाते हुए लोगों को
लेकर घर आता है
अब तो उसकी माँ भी
बचाव के लिए नहीं चिल्लाती है,
अपने तन और मन पर लगे
हज़ारों ज़ख़्म भी,
किसी को नहीं दिखाती है
उसकी आँखें
बूँद-बूँद कर
पिघलती हुई
बर्फ़ की तरह हो जाती हैं

राजू की आँखों में एक सपना है
एक घर का सपना
जिसमें एक माँ होगी
जो ममता से लबालब भरी होगी
हँसती खिलखिलाती बहन होगी
जो सौतेले बाप की हवस से
महफ़ूज़ होगी
वह फाँकें करेगा
रिक्शा चलाएगा
हर मुसीबत उठाएगा
लेकिन अपने घर में
बाप की तस्वीर तक नहीं लगाएगा
जब भी बाप का ख़याल आता है
राजू का सपना बिखर जाता है

आज राजू हैरान है
सूरज
जैसे पश्चिम से निकल आया है
उसका बाप
बिना पिए
पूरे होशोहवास में
घर आया है।

आज पहली बार
उसने राजू को ग़ौर से निहारा है,
बेटा कह कर पुकारा है,
पास बुला कर
इतने प्यार से
उसकी पीठ थपथपाई है
कि राजू की आँखें भर आई हैं-

अरी भागवान,
तू तो सदा की मनहूस निकली
पर तेरी बेटा तो कमाल दिखा गया,
अरबी शेख को
एक नज़र में ही भा गया,
दोनों भाई बहनों के
पचास हज़ार दे रहा है
सऊदी अरब ले जाएगा
ऊपर से हर महीने
कुछ न कुछ भिजवाएगा
कुछ दिनों में
तेरी छोटी भी जवान हो जाएगी
अपनी ज़िंदगी
मज़े में गुज़र जाएगी

यह सुनते ही
राजू के दिमाग़ में
सैंकड़ों ज्वालामुखी
एक साथ फटने लगे
उसका चेहरा तन गया
नसें खिंचने लगीं,
उसके बाद क्या हुआ
उसे याद नहीं।

उसे नींद नहीं आती,
उसकी पलकें नहीं झपकतीं,
उसकी लाल लाल पुतलियाँ
बाहर को उबल आई हैं,
और बावजूद इसके कि
डॉक्टर ने उसे
नींद की दवा पिलाई है
जेल की कोठरी में बंद
राजू जाग रहा है
कई दिनों से,
लगातार जाग रहा है।

जनवरी २००८

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