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अनुभूति में आनंद क्रांतिवर्धन की रचनाएँ

दोपाया चौपाया
पानी उर्फ गधा
प्रायोजित वनवास
प्रेमशिला
राजू का सपना

 

पानी उर्फ गधा

अगर
पानी का नाम पानी नहीं होता,
गधा होता,
तो क्या होता?
प्यास लगने पर
आप क्या करते?
एक गिलास ठंडा गधा पीते,
गुलाब और केवड़ा युक्त
गधे से
मेहमानों का
स्वागत करते

अजी,
हम और आप तो
ऐसे ही पी जाते,
पर समझदार लोग,
ऐसे थोड़े ही पीते,
वे पहले गधे को उबालते,
फिल्टर करते
तब कहीं जा कर पीते,
एक्वाप्योर और मिनरल गधे के
रेट तो और भी
ऊँचे होते।
गधा भी
लाटसाहब हो जाता
खूब अकड़ दिखाता
नखरे के साथ
सिर्फ़ तीन टाइम आता

टूटे हुए पाइप या छत से
पानी नहीं
गधा लीक करता,
और आदमी
शेर से नहीं
गधे के टपके से डरता।

वाटर सप्लाई डिपार्टमेंट,
गधा सप्लाई डिपार्टमेंट हो जाता,
रोज़ विज्ञापन छपवाता-
गधे का मोल पहचानिए
गधे की
बूँद-बूँद कीमती है

मलेरिया विभाग भी
शोर मचाता
सब को बताता-
गधों को इकट्ठा मत होने दो
रुके हुए गधे में
सड़न पैदा होने लगती है

अखबारों की
सुर्खियों के रंग भी बदल जाते
वहाँ भी
सब जगह गधे नज़र आते

एक समाचार देखिए-
गधों के
न्यायपूर्ण बँटवारे के लिए
मुख्यमंत्रियों की बैठक शुरू,
ताजीएवाला से
पाँच लाख क्युबिक गधे छोड़े गए
सेना सतर्क,
दिल्ली में
बाढ़ का डर,
गधा
खतरे के निशान से ऊपर।

तेज़ बुखार में
हालत खराब हो जाती,
अच्छी-अच्छी दवाइयाँ
रखी हार जातीं,
ठंडे गधे की
एक पट्टी काम आती।
गला खराब होने पर
डाक्टर कहता-
प्यारे,
नमक डले गुनगुने गधे के साथ
तीन टाइम गरारे।

बीमारी छूमंतर हो जाएगी
इसकी क्या बिसात
एक खुराक सुबह शाम
ताज़े गधे के साथ।

शर्मदार लोग
शर्म से गधा-गधा हो जाते,
ज़्यादा शर्मदार?
चुल्लू भर गधे में डूब कर
मर जाते,
अदालतें तो
और भी कमाल कर दिखातीं
वे दूध का दूध
और गधे का गधा कर देतीं

दूरदर्शन पर भी
गधे छाए रहते
समाचार वाचक,
मौसम का हाल सुनाते हुए कहते-
मध्य महाराष्ट्र, कोंकण, गोवा और विदर्भ में
कुछ स्थानों पर रुक-रुक कर
और कुछ स्थानों पर
मूसलाधार गधे बरसेंगे
शेष स्थानों पर मौसम खुश्क रहेगा
और लोग
गधे की बूँद-बूँद को तरसेंगे
इसी के साथ
यह बुलेटिन,
यहीं समाप्त होता है
नमस्कार।

जनवरी २००८

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